किताब का नाम- स्तुति ( खंड-2)
उपन्यासकार- सौरभ कुदेशिया
प्रकाशन- हिन्द युग्म
शैली- उपन्यास
वर्ष-2019
कुल पन्ने- 456
रेटिंग-4/5 स्टार्स
उपन्यासकार सौरभ कुदशिया जी की लिखी हुई महाभारत आधारित पौराणिक रहस्य गाथा का दुसरा खंड 'स्तुति' हमे एक ऐसी विलुप्त पुरातन सत्य की खोज में ले जाती है, जो आपको अचंभित कर देगी। इस उपन्यास का पहला भाग जिस रोमांचक मोड़ पर खतम होता है, वही से 'स्तुति' की कहानी शुरू होती हैं। पहला भाग अगर आपने पढ़ा होगा तो आप जानते हैं की रोहन की वसीयत से पहले भाग की कहानी शुरू होती है और किस तरह उस राज के तार महाभारत की घटनाओ से जुड़े हुए हैं। दुसरे भाग की कहानी शुरू होती है शोण से जो द्वारका की विशेष राज-मुद्रिका लिए अपने घोड़े पर अधमरी हालत मे चिरपुंज पहुचते हैं। वो एक ऐसी महत्वपूर्ण संदेश लेकर आये है जो महाभारत के युध्द का मोड़ बदलने की ताकत रखता है। संदेश मे देवकीनन्दन कृष्ण ने चिरपुंजवासी को युद्व त्यागकर महादेव के शरण मे जाने की बात कही है।
क्या चिरपुंज के वीर जो अपनी वीरता और युध्दकौशल के लिए जाने जाते है, कृष्ण की इस बात को मान लेंगे? क्या होगी यादवों के रक्षक कृष्ण की योजना?
जानने के लिए आपको ये उपन्यास पढ़ना होगा।
इस उपन्यास की जो बात मुझे बहुत अच्छी लगी वो है इसकी विषय का चयन और उतनी ही बेहतर लेखन शैली। सच में इस उपन्यास को पढ़ने मे जो रोमांच हैं उसका बयान नही किया जा सकता। उपन्यास में वो सारी खूबियां मौजुद है, जो एक अच्छी उपन्यास मे पाठक आशा करता है। वीरता की गाथा, बलिदान, मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम और कुटनैतिक लड़ाई इस उपन्यास में आपको देखने मिलेगी। रामायण में धर्म की प्रधानता है जबकि महाभारत में शौर्य और कर्म प्रधान है। रामायण में सदाचार और नैतिकता का प्राधान्य है, जबकि महाभारत में राजनीति और कूटनीति प्रधान है। महाभारत पर आधारित इस उपन्यास में आपको वही चीजें देखने मिलेगी। ये उपन्यास बहुत ही अच्छी तरह से शोध करने के बाद लिखी गयी है। हर एक पन्ने के नीचे दिये गये footnotes कहानी को समझने में काफी मददगार साबित हुई।
ओवरऑल, काफी अच्छा अनुभव रहा। इस उपन्यास को में 4 स्टार्स देता हुँ और आपसे इस उपन्यास को पढ़ने की गुजारिश करूंगा।
हैप्पी रीडिंग।
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