लेखक- सौरभ कुदेशिया
प्रकाशक- हिन्द-युग्म
कुल पन्ने- 304
रेटिंग- 4/5 स्टार्स
सौरभ कुदेशिया जी की लिखी हुई उपन्यास "आह्वान" हमे एक ऐसी रहस्यमयी दुनिया में ले जाती है जहा अतीत के हजारों राज़ सदियो से दफ़न हैं। ये कहानी है एक ऐसी गुप्त दुनिया की, जिसके तार महाभारत के घटनाओं से जुड़ी हुई हैं। 'आह्वान' की कहानी शुरू होती है एक पुरानी वसीयत से जिसमे रोहन ने अपने परिवार के लिये कुछ बातें कही हैं। लेकिन साधारण सी दिखने वाली इस बसीयत में लिखी बातें कुछ अलग ही चीज़ों की तरफ इशारा कर रही हैं। जब इंस्पेक्टर जयंत इस बसीयत सें जुड़े राज़ को उजागर करने की कौशिश मे आगे बढ़ता है, तो उसका पाला पढ़ता है सदियों से छुपी हुई कुछ राज़ और उन्हें छुपा कर रखने वाली ताकते से।
क्या जयंत अपने इस सत्यं की खोज में सफल होगा?
क्या होगा जब जयंत का पाला एक ऐसे शक्तिशाली दुश्मन से पड़ेगा जिसे मारना असंभब हैं?
जानने के लिये आपको इस बेहतरीन उपन्यास को पढ़ना होगा।
इस उपन्यास की जो बात मुझे बेहद पसंद आया वो है इसके बिषय का चयन। लेखक ने जिस खुबसूरती से महाभारत और श्रीमदभगवदगीता की श्लोक और घटनाओ को लेकर इस उपन्यास की रचना की हैं वो वाकई काबिले तारिफ हैं। दूसरी सबसे अनूठी बात है उपन्यासकार की लेखन शैली । पूरे उपन्यास में कोई भी ऐसी जगह नही है, जहा आपको लगे की कहानी को बिना मतलब के खीचा गया हों। हर एक चैप्टर में एक नया सवाल पाठक के मन में पैदा होता हैं और फिर उसके जवाब की तालाश में वह पढ़ता जाता हैं, पर सवालों का सिलसिला खतम नही होता, बल्कि बढ़ता ही जाता हैं। इस उपन्यास को लिखने में उपन्यासकार के जो गहरा शोध किया हैं, वो बखूभी दिखता हैं।
ओवरऑल, ये एक बहुत ही बेहतरीन रहस्य उपन्यास है, जो आपको जरूर पढ़नी चाहिए।
मैं इस उपन्यास को 4 स्टार्स देता हूँ और आप सबसे आग्रह करूंगा की आप इसे जरूर पढ़े।
हैप्पी रीडिंग।
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