उपन्यास का नाम- कल्किकाल कथा (खण्ड दो) त्रिपुन्ड काक्ष:
उपन्यासकार- प्रशान्त सिंह
प्रकाशक- अंजूमन प्रकाशन
कुल पन्ने- 244
रेटिंग- 4/5 स्टार्स
प्रख्यात उपन्यासकार प्रशान्त सिंह जी की लिखी हुई 'त्रिपुन्ड काक्ष:' कल्किकाल कथा का दुसरा खण्ड है। प्रशान्त जी ने बड़ी ही कुशलतापूर्वक भारत के प्रचीन ग्रंथों से और हिन्दू धर्म मे प्रचलित विभिन्न कहानियों से प्रेरणा लेकर इस उपन्यास की सृष्टि की है। रहस्य और रोमांच से भरपुर ये उपन्यास हमें एक ऐसे अनोखे सफर में ले जाता है, जहा अगले ही पल कुछ भी हो सकता है। जिन्होंने पहला खण्ड 'समयान्त रहस्य' पढ़ा है, उन्हे पता ही होगा की इस उपन्यास के नायक है कल्कि जो दुसरे ग्रह के प्रजातियों के आक्रमण से पृथ्वी को बचाने के लिए लड़े जा रहे हैं। पृथ्वी को बचाने की इस जंग में उन्हे पृथ्वी के विभिन्न रहस्यमय स्थानों मे जाकर अनोखे व्यक्तियों से मिलने का मौका मिलता है। पर कहानी यही खतम नही होती। उनके लिए अभी और भी बड़ी चुनौतियाँ इन्तजार कर रही है।
द्वितीय खण्ड की कहानी शुरू होती है सन 2025 मे। ये एक ऐसा समय है जब शक्तिशाली बम के प्रकोप से मानव सभ्यता 500 साल पीछे जा चुकी है। एक लम्बी लड़ाई के बाद कल्कि एक प्राकृतिक गुफा मे आराम कर रहे थे, तभी उन्हे खबर मिलती है की एलियन प्रजाति के जीव केचर ने अफ्रीका पर शक्तिशाली बम से हमला कर दिया है और इसकी वजह से वहां सब कुछ तबाह हो चुका है। 15 दिनो में इसका असर भारतीय उपमहाद्वीपों में आ जायेगा और धीरे धीरे पूरी धरती इसके चपेट में आ जायेगी।
क्या कल्कि आयामों मे फँसी परम कुंजी को खोज पायेगा? या फिर रहस्यमयी नगरी ज्ञानाश्रम, पवित्र कैलाश पर्वत व विध्वंसकारी ब्रह्मास्त्र के सत्य से पर्दा उठा पायेगा? क्या होगा जब साढ़े तीन हजार वर्षों के बाद अश्वत्थामा फिर से युद्ध के मैदान में उतरेगा?
जानने के लिए अपको इस बेहतरीन उपन्यास को पढ़ना होगा।
प्रशान्त सिंह जी ने जिस तरह से भारतीय समाज और संस्कृति तथा आधुनिक जगत को अपने लेखनी के द्वारा पाठको के सामने लाये है, वो वाकी ही बेमिसाल हैं। लेखनी शैली और भाषा पे उनकी अच्छी पकड़ उपन्यास को पढ़ने मे और भी रोचक बनाती है। ओवरऑल काफी अच्छा अनुभव रहा। मैं इस उपन्यास को 4 स्टार देता हूँ और आपसे आग्रह करूंगा की इसे जरूर पढ़े ।
हैप्पी रीडिंग।
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